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लेखनी कहानी -09-Mar-2022 प्रतिलिपि हवेली में होली का हुरंगा

जिस दिन का इंतजार था आखिर वह दिन आज आ ही गया । प्रतिलिपि हवेली में होली का त्योहार आज मनाया जाने वाला था । आज धुलंडी है । आज के दिन रंग की बरसात होगी । गुलाल की आंधियां चलेंगी । खूब धमाल होगा । छीना झपटी होगी और खूब आनंद होगा । 


आज सब लोग अपने अपने जीवनसाथी को भी लेकर आये थे । हमारी श्रीमती सुनीता जी बड़ी मुश्किल से आई । हुड़दंग से दूर रहतीं हैं । वो तो मैंने हेमलता मैम का वास्ता दिया तब उनकी बात रखने के लिए आ गईं । अपनी बात का क्या है ? ना बीबी माने ना बॉस । इसलिए हमें अपनी औकात पता है । 

प्रिया जी और रितु जी के पतिदेव तो बहुत ही जॉली निकले । अरे वो "जॉली एल एल बी" वाले नहीं , गोविंदा जैसे । मि . कम्बोज तो "यू पी वाला ठुमका लगाउं कि हीरो जैसे नाच के दिखाऊं" गाते गाते आ रहे थे । और मिस्टर गोयल "तेरे लिये ही सिगनल तोड़ताड़ के आया दिल्ली वाली गर्लफ्रैंड छोड़छाड़ के" गाते गाते आ रहे थे । शिखा जी ने बड़ी मासूमियत से रितु जी से पूछा 

"सच में दी । जीजू ऐसे हैं क्या ? देखने में तो बड़े शरीफ लगते हैं लेकिन कह रहे हैं कि वे दिल्ली वाली गर्लफ्रैंड छोड़छाड़ के आये हैं । सच में ऐसा है क्या " ? 

रितु जी को बड़ी जोर की हंसी आ गई । वो कुछ बोलती उससे पहले हमारी श्रीमती जी बोल पड़ी 

"ये तो हम लोगों ने इन पर मेहरबानी कर दी और इन्हें अपना जीवनसाथी बना लिया वरना ये तो कंवारे ही रह जाते । अपने मन को संतोष देने के लिए ऐसा कहते हैं जिससे इन लोगों का मनोबल बना रहे वरना इनको कौन घास डाले ? बेचारों पर रहम कर हमने डाल दी तो आज ये फुदक रहे हैं" । श्रीमती जी ने नैनों से हमारी ओर इशारा करते हुए कहा । 

हम जानते हैं कि चाहे और किसी के सामने कुछ भी बोल लो । यहां तक कि बॉस को भी चाहे सरेआम गाली दे दो मगर बीबी के सामने केवल "दुम हिलाते" रहो और तलवे चाटते रहो । इसी में भलाई है । हमारी दुम लगातार हिल रही थी बस, तलवे चाटना ही बाकी रह गया था । वो तो श्रीमती जी को अपनी इज्जत का भी खयाल रहता है इसलिए सार्वजनिक जगहों पर तलवे चाटने के लिए मना कर रखा है उन्होंने । हमने फिर भी एक बार प्रयास किया और अपना मुंह उनके कदमों की ओर ले जाने लगे , मगर उन्होंने रास्ते में ही पकड़ लिया और हलकी चपत लगाते बोली "मेरे शोना बाबू , जितना सिखाया है वहीं तक सीमित रहो । आगे बढ़ोगे तो अंजाम के हकदार तुम्ही होंगे" । 

इतनी धमकी काफी थी । हमें अपनी सीमा का भान फिर से हो गया । 

होली की सारी तैयारी हो गयी थी । एक बड़े स्वीमिंगपूल में कलर घोल दिया । टेसू के फूलों को भिगोकर , पेस्ट बनाकर तैयार किया था और अरारोड से गुलाल बनाई गई थी । स्वीमिंग पूल में एक बड़ी मोटर और पाइप से पानी ऊपर पचास फीट ले जाया गया और पाइप का मुंह ऊपर की ओर कर दिया । मुंह.पर एक फव्वारा लगा दिया । अब पानी छोटी छोटी धार बनकर गिर रहा था । सब लोग उस बरसात में भीगने लगे । एक दूसरे पर रंग के छींटे मारने लगे । हाथों से गुलाल मुंह पर लगाने लगे । सब मस्ती में चूर हो रहे थे । 

एक डेक लगा हुआ था जिसमें सब तरह के गाने बज रहे थे । उसकी धुन पर सब डांस कर रहे थे । हमने जब अपनी श्रीमती जी को रंग गुलाल लगाना चाहा तो वे हेमलता मैम से बोली " ये तो बड़ी गलत बात है आई , घर में भी इनसे ही होली खेलो और बाहर भी इनसे । हमें कोई ऑप्शन नहीं है क्या "? 

सुनकर हेमलता मैम चौंकी मगर मुस्कुरा कर कहने लगीं "भगवान ने परफेक्ट जोड़ी बनाई है हरफनमौला जी । अब आया ऊंट पहाड़ के नीचे ।  मुझे ऐसी ही बहू चाहिए थी ,जो आपसे टक्कर ले सके । वाह । मजा आ गया " । 

मैं समझ गया कि हेमलता मैम ने पाला बदल लिया है ।  जब भी कभी हम पति पत्नी में कोई विवाद होता है तो वे हमेशा श्रीमती जी का साथ देती हैं । आखिर नारीवादी जो हैं । अपनी बिरादरी का साथ नहीं देंगीं तो फिर क्या हमारा देंगी" ? 

परवाने मस्ती से गा रहे थे 

होली रे होली, रंगों की टोली 
आई तेरे दर पर मस्तों की टोली 
मुख ना छिपा ओ रानी सामने आ 

जिसका जिसको रंग लगाने का मन था , उसने वह सब किया । कोई रोक नहीं कोई टोक नहीं । हमारा हाल तो पूछो ही मत । पूरी टोली टूट पड़ी । वो हाल किया कि हड्डी पसली सब एक हो गई । हमें उठाकर स्वीमिंगपूल में फेंक दिया गया और फिर वहां भी खूब रगड़ाई हुई । वो तो छमिया भाभी को थोड़ी दया आ गई इसलिए उन्होंने हमें बचा लिया वरना आज सबके निशाने पर थे हम । 

हम भी कुछ कम नहीं । हमें भी चढ गई । भंग और क्या ? हमने फटाफट सौ क्विंटल टमाटर मंगवाये और सब महिलाओं पर मारने लगे । महिलाएं भी कम नहीं थीं । उन्होंने भी मारा । टमाटर से होली पहली बार देखी थी लोगों ने । जैसे ही टमाटर पीठ पर पड़ता "हाय" कि आवाज आती और वो वहीं बैठ जाती । जमीन पर टमाटर का कीचड़ हो गया । हमने और श्री ने हमारी श्रीमती जी और अनन्या जी को टमाटर के कीचड़ में खूब रगड़ा । ऊपर से नीचे तक । लेप चढ गया । पहचान में नहीं आ रही थीं दोनों । होली में ऐसा ही होता है । जब तक बचे रहो खेलने से डर लगता है । जब एक बार खेल लो तो फिर सबको वैसा ही करने का मन करता है ।

श्रीमती जी और अनन्या जी ने प्लान बनाया कि वे तो रगड़ी जा चुकी हैं तो फिर औरों को भी रगडना है , ये प्लान बन गया । दोनों ने प्रिया जी और रितु जी को चुपके से पकड़ा फिर टमाटर के कीचड़ में जमकर रगड़ा । अब चार देवियां हो गई थी । इन चारों ने धावा बोला और ज्योति, शिखा, शबाना , जया मैम को पकड़ लिया और फिर उनकी रगड़ाई होने लगी । अब ये आठ हो गई थी । बाकी की महिलाओं को ये पकड़ लाई । सबके सब एक जैसे हो गए । उधर हम मर्द लोग भी बाकी मर्दों को ले आये । जमकर रगड़ाई हुई । 

शबाना मैम और एक दो अन्य मैम कोड़े लेकर आई थी । उन्हें कोडामार होली खेलनी थी । जो रंग लगायेगा वो कोड़े भी खायेगा । अमित ही ऐसे निकले जिन्होंने कोड़े खाने की इच्छा व्यक्त की । जय वीरू की जोड़ी लठ्ठमार होली खेलने पर आमादा थी । सूर्यनारायण सर, विनय सर भी तैयार थे । मधु रतन जी भी जय वीरू के साथ मिल गईं । खूब लठ्ठ चले । मगर दोनों बांके ऐसे थे कि सब झेल गये । 

मगर एक गड़बड़ हो गई । हमने दो बाल्टी ठंडाई बनवाई थी । एक भंग वाली और दूसरी बिना भंग वाली । ज्योति मैम गलती से भंग वाली बाल्टी उठाकर ले गईं और हेमलता जी, शीला मैम वगैरह सब सीनियर सिटीजन को पिला दी । उधर विनय जी और सूर्यनारायण जी सर को भी यही पिला दी । बिना भंग वाली ठंडाई यंगस्टर्स को मिली जबकी जय वीरु ने भंग वाली के लिए कहा था । 

जब बहुत देर तक भंग नहीं चढी तो जय वीरू नाराज हो गए । बोले "ये भंग चढ क्यों नहीं रही है ? सर, कम मिलाई थी क्या " ? 

ऊधर पता चला कि सूर्यनारायण जी एक गाना गा रहे थे "तनु वेड्स मनु" फिल्म का । उनके साथ एक समस्या यह है कि वे आंध्र प्रदेश के हैं और तेलुगु भाषी हैं । हिन्दी का बहुत शौक है लेकिन कभी कभी चक्कर पड़ जाता है । उस गाने के बोल इस तरह से हैं 

आशिकां नूं दरश दिखाया करो जी 
कभी साड़ी गली भूल के भी आया करो जी 

यहां क्या हुआ कि वे अनजाने में इसे ऐसे गाने लगे 

आशिकां नूं पर्स दिखाया करो जी 
कभी साड़ी वाड़ी खोल के भी आया करो जी 

जब ये गीत गा रहे थे तो वे अपने पूरे रंग में थे । कुछ को समझ आ रहा था कुछ को नहीं । मगर छमिया भाभी ने खतरा पहचान लिया और चुपके से मेरे कान में बता दिया । मेरे होश फाख्ता हो गए । भागा भागा पेरी सर के पास गया और उनसे इस गाने को नहीं गाने की प्रार्थना की । वे बोले "व्हाट्स रोंग" 
"इवरीथिंग इज रोंग" 
"कैसे" 
"जैसे थ्री इडियट्स में वो चमत्कार का बलात्कार हो गया था वैसे ही यहां भी साड़ी गली भूल के भी क्या बलात्कार हो गया आप इसे साड़ी वाड़ी खोल के भी कर गये" । 
"ओ माई गॉड । अब क्या होगा" ? 
"चुपचाप उठो और पतली गली से निकल लो" 
वे चुपचाप नौ दो ग्यारह हो गए । 

बाद में पता चला कि ये सीनियर सिटीजन को भंग की ठंडाई पिला दी इसलिए भंग की तरंग में बह गए थे । हेमलता मैम, शीला मैम, रीता मैम वगैरह 18 साल की लड़की (शोले की जया भादुड़ी) जैसे हरकत कर रही थीं । होली है भई होली है, रंगों की ठिठोली है" ऐसा गा गाकर सबको रंग रही थीं । 

आज तो छमिया भाभी के पतिदेव भुक्कड़ सिंह जी भी आये थे । इतने सारे पकवान देखकर वे तो पागल जैसे हो गए । बस, ऐसे टूट पड़े जैसे दुश्मन की सेना पर जवान टूट पड़ते हैं । फटाफट प्लेटें साफ करने लगे । 

इस तरह हंसते खेलते, खाते, पीते, रंगते , रंगाते, चीखते, चिल्लाते , नाचते, कूदते यह होली मनी । प्रतिलिपि हवेली में इस होली को सदियों तक याद किया जायेगा । 

होली पर.सबको हार्दिक शुभकामनाएं । 
💐💐💥💥🙏🙏

हरिशंकर गोयल "हरि"
18.3.22 


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